Saturday, April 27, 2024

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Thursday, April 25, 2024

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Tuesday, April 23, 2024

Success story of mba chaiwala

 


Success Story of Prafull Billore

Introduction

Presently MBA Chaiwala is a big brand founded by Prafull Billore. This is a big name in the market. Currently, they have 200+ franchises in 100+ cities in India. The business was started in Ahmedabad, Gujarat, with a small roadside tea stall.


Prafull Billore is the owner and founder of MBA Chaiwala. He did not complete his MBA and dropped out of college, and started a tea stall business that converted into a big brand with his hard work. Not only a chaiwala, but he is also a motivational speaker and entertainer.


There are many competitors in the market for MBA Chaiwala, but Prafull Billore has held his business position as it is in the market. No competitor could able to catch him.


Who is MBA Chaiwala?

Prafull Billore is the founder of MBA Chaiwala. He is famous for the name MBA Chaiwala. He studied at IIM Institute of Ahmedabad, Gujarat. Prafull Billore is from Dhar, Madhya Pradesh. He started this business in 2017 with an investment of 8000 rupees. Presently his business turnover is around 4 to 5 crore per year. Prafull Billore is a successful businessman and motivational speaker. He started his business with a small tea stall on the road for about 2 years, which was essential to his success.

Prafull Billore became famous as he sold “free tea for singles” on Valentine’s Day, a turning point in his career. After this slogan, the crowd gathered near his tea stall to drink tea. So this was his marketing strategy to grab the attention of the people.


Prafull Billore is an entrepreneur who started his business with a small roadside tea stall. He is also a chaiwala, motivational speaker, entertainer, and facilitator. He has 1.6 million followers on LinkedIn, 8 million followers on Instagram, 10k followers on Facebook, 85k followers on Twitter, and 7.52 million subscribers on youtube. 


He is from Dhar, Madhya Pradesh. After schooling, he went to Gujrat and was qualified for IIM Ahmedabad. But before completing his MBA he dropped out of college and started a small roadside tea stall. He named his tea stall “MBA Chai Wala.” His hard work made him famous, and now it is a brand.

Success story of gopesh

 Success Story: बिना कोचिंग के भरतपुर के गोपेश ने SSC CGL में हासिल की 237 वीं रैंक, ऐसे की तैयारी

गोपेेश अपने साथियों को संदेश देते हुए कहते हैं कि हमें मोबाइल का मात्र सदुपयोग पढ़ाई के लिए बढ़ाना चाहिए एवं स्टडी हमेशा बिना बोझ के करनी चाहिए.



   भरतपुर. कहते हैं जब इंसान कुछ करने की ठान लेता है तो वह जब तक नहीं थकता जब तक उसे मंजिल मिल ना जाए. ऐसा ही देखने को मिला है भरतपुर जिले के रुदावल कस्बे में जहां के गोपेश कुमार जांगिड़  ने मात्र 22 वर्ष की उम्र में एसएससी सीजीएल (SSC-CGL) में 237 वीं रैंक प्राप्त कर क्षेत्र का नाम रोशन किया है. उन्होंने बताया कि यह उपलब्धि उन्होने बिना किसी कोचिंग और मोबाइल (Coaching & Mobile) से दूर रहकर प्राप्त की है. जानकारी के मुताबिक गोपेश शुरुआत से ही पढ़ने में होशियार थे और कक्षा दसवीं में उनके गुरु ने बड़े अधिकारी बनने की भविष्यवाणी कर दी थी. इस उपलब्धि को लेकर गोपेश के परिजन बेहद खुश और उनके घर पर बधाई देने वालो का तांता लगा हुआ है.


बिना कोचिंग की पढ़ाई , सेल्फ स्टडी से मिली सफलता

    गोपेश कुमार ने बताया कि बिना कोचिंग के घर पर रहकर एसएससी सीजीएल में 237 वीं रैंक उन्होंने सेल्फ स्टडी (Self Study) से प्राप्त की है. उन्होंने बताया कि जब कोरोना काल था उस समय चारो तरफ हाहाकार मचा हु था.उस समय मैने पढ़ाई को हथियार बनाया. जब स्थिति सामान्य हुई तो परिजन कोचिंग की बोल रहे थे लेकिन मुझे अपनी सेल्फ स्टडी पर भरोसा था. इस दौरान मैने मोबाइल से खुद को दूर रखा और मोबाइल का उपयोग सिर्फ पढ़ाई मैटेरियल को लेकर किया. इस दौरान परिजनों के साथ-साथ बाहर के लोगों के मार्गदर्शन के चलते मुकाम को हासिल कर सका.


गुरु राजेंद्र गोयल ने 10 वीं क्लास में कर दी थी भविष्यवाणी

    गोपेश कुमार जांगिड़ के गुरु रहे राजेंद्र गोयल (Rajendra Goyal) ने दसवीं क्लास में ही गोपेश कुमार के लिए बड़ा अधिकारी बनने की भविष्यवाणी (Prediction) कर दी थी, वही राजेंद्र गोयल ने बताया कि गोपेश कुमार जांगिड़ की उनसे दसवीं क्लास में मुलाकात हुई थी, जिसके चलते गुरु राजेंद्र गोयल ने उन्हें सेल्फ मोटिवेशन का मंत्र दिया और जब तक मंजिल प्राप्त ना हो तब तक अनवरत मेहनत करने का ज्ञान दिया. वही गोपेश के परिजनों का कहना है कि बेटे की इस उपलब्धि पर हम बेहद खुश हैं और यह सब उसकी खुद की मेहनत और भगवान की कृपा से हुआ है. वह अपने साथियों को संदेश देते हुए कहते हैं कि हमें मोबाइल का मात्र सदुपयोग पढ़ाई के लिए बढ़ाना चाहिए एवं स्टडी हमेशा बिना बोझ के करनी चाहिए.

Monday, April 22, 2024

Success story of ips Manoj Kumar Sharma

 

12th Fail Story: 
12वीं फेल IPS मनोज कुमार शर्मा

    

  आईपीएस मनोज कुमार शर्मा के लिए यूपीएससी परीक्षा पास कर पाना आसान नहीं था (UPSC Exam). उन्होंने अपनी जिंदगी में काफी संघर्ष किया है, जिसका फल साल 2005 में सरकारी नौकरी के साथ मिला. लेकिन क्या आप जानते हैं 

    कहते हैं कि प्रेम में बड़ी ताकत होती है। इस ताकत का असल अंदाजा आपको भी फिल्म ‘12वीं फेल’ देखकर हो सकता है। ये एक ऐसी कहानी है जिसमें चंबल से आए एक आशिक के पास खाने को पैसे नहीं हैं। रहने के लिए सिर पर छत नहीं है। संघ लोक सेवा आयोग यानी कि यूपीएससी का यू भी नहीं पता है और वह इश्क कर बैठता है एक सुंदर सी, सलोनी सी और मन की मजबूत सी एक पहाड़न से। इस प्रेम कहानी पर बनी है फिल्म ‘12वीं फेल’। फिल्म तो शुक्रवार को रिलीज होगी, चलिए इसके पहले आपको हम बताते हैं कि इस कहानी के नायक मनोज कुमार शर्मा और इसकी नायिका श्रद्धा जोशी की असल प्रेम कहानी क्या है..!

   मध्य प्रदेश का मुरैना जिला, जहां के बीहड़ों में कभी बागियों के बारूद के गंध से हिंदुस्तान भर मे दहशत फैल जाती थी। ऐसे बीहड़ से निकलकर मनोज कुमार शर्मा के आईपीएस अधिकारी बनने की कहानी बहुत ही प्रेरणादायक है। मनोज कुमार शर्मा का जन्म मध्य प्रदेश में मुरैना जिले के एक छोटे से गांव बिलगांव में साल 1977 में हुआ। पिता रामवीर शर्मा कृषि विभाग में कार्यरत थे और घर की माली हालत खराब थी। दो वक्त की रोटी की जद्दोजहद के बीच मनोज कुमार नकल के सहारे हाईस्कूल पास कर गए। 11वीं भी किसी तरह पास हो गई, लेकिन 12वीं में आकर उनके ज्ञान चक्षु पहली बार खुले।

   इलाके के सारे स्कूलों में बच्चों को बस शिक्षित बनाया जा रहा था। हाईस्कूल, इंटर पास का सर्टिफिकेट थमाकर। ज्ञान किसी के पास कोई नहीं था। होता भी कैसे सारे मास्टर खुद की नकल जो कराते थे। मनोज भी निश्चिंत 12वीं पास होने के बाद टाइपिंग सीखेंगे, कहीं बाबू की नौकरी करेंगे और घर की हाल ठीक कर देंगे। लेकिन, ऐन 12वीं बोर्ड की परीक्षा के समय तहसील में आए नए एसडीएम ने सारी नकल रुकवा दी। मनोज 12वीं फेल हुए। लेकिन, यहीं से उन्हें ये भी पता चला कि कोई तो अफसर है जो प्रिंसिपल से भी बड़ा होता है।

   मनोज कुमार शर्मा ने ठान लिया कि वह मध्य प्रदेश राज्य लोक सेवा आयोग (एमपीपीएससी) की परीक्षा देकर एसडीएम बनेंगे। बस इस बार उन्होंने 12वीं ईमानदारी से पास की और आ गए ग्वालियर। वहां पता चला कि तहसील के एसडीएम से भी बड़ा अफसर डीएम होता है और उसके लिए संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा होती है। इस परीक्षा की तैयारी के लिए दिल्ली का मुखर्जी नगर चर्चा में था सो मनोज पहुंच गए दिल्ली। लेकिन, दिल्ली में रहना इतना आसान थोड़े ही है।

   लेकिन मनोज ने हार नहीं मानी। घर पर थे तो वहां की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण मनोज ऑटो चला चुके थे। दिल्ली में भी उन्होंने काम तलाशना शुरू किया। जब तक ढंग का काम नहीं मिला तब तक कभी भिखारियों के साथ फुटपाथ पर ही सो गए तो कभी अमीरों के घरेलू कुत्ते भी टहलाने ले गए। फिर उन्हें एक लाइब्रेरी  में काम मिला। यूपीएससी की कोचिंग शुरू हुई और इसी दौरान मनोज कुमार शर्मा को उत्तराखंड के अल्मोड़ा की श्रद्धा जोशी से प्यार हो गया।

   दोनों की प्रेम कहानी में असल मोड़ तब आया जब मनोज लगातार तीन प्रयासों में असफल रहे और श्रद्धा जोशी का पीसीएस में सेलेक्शन हो गया। श्रद्धा को लगा कि अगर मनोज को कोई बड़ी चुनौती नहीं दी गई तो वह उसे पार नहीं कर पाएगा। उसने अपने आशिक को तब दी प्यार की चुनौती। मनोज ने श्रध्दा को यह कहते हुए प्रपोज किया था, 'तुम आई लव यू कह दो तो मैं दुनिया पलट दूंगा।' वही हुआ। घरेलू विरोध के बावजूद श्रद्धा ने मनोज का उन दिनों साथ दिया जब उसे प्यार की सबसे ज्यादा जरूरत थी। और, मनोज का हौसला बढ़ाने के लिए उसने आई लव यू भी बोल ही दिया।

   और, वाकई में मनोज कुमार शर्मा ने दुनिया पलट दी। प्रीलिम्स और मेन क्लीयर करने के बाद मनोज कुमार शर्मा ने जिस बोर्ड के सामने अपना इंटरव्यू क्लीयर किया, उसकी कहानी इस पूरी कहानी का असली क्लाइमेक्स है। कहते हैं कि बोर्ड के चेयरमैन को कभी नहीं कि एक 12वीं फेल लड़का एक अच्छा अफसर बन पाएगा। लंबा ‘शास्त्रार्थ’ चला। इंटरव्यू बोर्ड के तीन सदस्यों का मनोज को साथ मिला और वह आईपीएस अधिकारी  बन गए। इस समय मुंबई में सहायक पुलिस आयुक्त के पद पर मनोज कुमार शर्मा को लोग पुलिस विभाग का ‘सिंघम’ कहकर भी बुलाते हैं। उनकी पत्नी बन चुकी श्रद्धा जोशी इन दिनों महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग की सचिव हैं। अनुराग पाठक ने ये पूरी कहानी एक किताब ‘ट्वेल्थ फेल’ में लिखी है और इसी कहानी पर बनी है विधु विनोद चोपड़ा की फिल्म।